आइये प्रश्नोत्तर के माध्यम से शांतिधारा गिर गौशाला में निर्मित शुद्ध घी और अन्य बाजार में उपलब्ध घी का तुलनात्मक अध्ययन करें -
प्रश्न : गौवंश किस प्रजाति का है?
उत्तर : भारतीय नस्ल की गिर प्रजाति
प्रश्न : गौशाला में गौवंश की संख्या क्या है ?
उत्तर : 500 गौवंश है, जिसमें गाय, बछिया, बछड़े, नंदी, बैल शामिल है ।
प्रश्न : गौवंश को क्या खिलाया जाता है?
उत्तर : गौशाला में उत्पादित जैविक हरा चारा🌿 एवं जैविक खाद्यान्न🌾।
प्रश्न : गौवंश के उपचार की क्या व्यवस्था है?
उत्तर : अनुभवी और सुशिक्षित 3 डॉक्टर्स👨⚕️ और सहायक की टीम 24 घंटे उपलब्ध है।
प्रश्न : गौवंश को ज्यादा दूध देने के लिए कोई इंजेक्शन लगाते हैं क्या?
उत्तर : अरे नही!🙅♀️ बिल्कुल नही! वात्सल्य पूर्वक जो दूध दे बस उतना ही पर्याप्त है।
प्रश्न : गौवंश के बच्चों को कितना दूध पिलाया जाता है?
उत्तर : माँ के दूध पर पहला अधिकार उसके बच्चे का है। पर्याप्त दूध पिलाया जाता है।
प्रश्न : 1 लीटर घी बनाने में कितना दूध लगता है?
उत्तर : लगभग 25 लीटर से 27 लीटर दूध लगता है।
प्रश्न : घी कहाँ और कौन बनाता है?
उत्तर : गौशाला में ही, भैयाजी के निर्देशन में ।
प्रश्न : क्या घी मर्यादित और अष्टप्रहरी है? आहारचर्या में साधुगण को दे सकते हैं?
उत्तर : घी पूर्ण मर्यादा से बनता है। दूध से घी तैयार होने में 24 घंटे लगते हैं। इसे अष्टप्रहरी घी कहते हैं। आहारचर्या के लिए सर्वश्रेष्ठ है।
प्रश्न : क्या घी बनते हुए हम देख सकते हैं?
उत्तर : जी हाँ 🙂, घी निर्माण कक्ष कांच से निर्मित है ताकि आप आसानी से सारी प्रक्रिया समझ सकें। आप पधारें, बहुत खुशी होगी।
प्रश्न : किस पद्धति से आप घी बनाते हैं?
उत्तर : प्राचीन पारंपरिक बिलौना पद्धति
दूध गर्म --> दही जमाना --> दही से मक्खन और छाछ --> मक्खन को गर्म करना--> शुद्ध घी
प्रश्न : गाय दूध देना बंद कर दे तो क्या होता है उनका?
उत्तर : सुखपूर्वक गौशाला में ही अंतिम समय तक परिवार के साथ जीवनयापन करती है।
प्रश्न : गाय के बछड़े (male calf) का क्या करते हैं?
उत्तर : बछड़ो से नंदी और बैल तैयार करते हैं।
प्रश्न : मरणोपरांत गौवंश का क्या करते हैं?
उत्तर : अपने गौशाला परिसर में ही समाधिपूर्वक संस्कार किया जाता है।
उपरोक्त सभी प्रश्नों के जबाब से मैं संतुष्ट हुआ और किसी भी प्रकार के घी का उपयोग करने से पहले इस कि जांच अवश्य करूँगा।
आईये हम सब मिलकर शुद्ध घी के प्रति जागरूकता फैलायें। साथ ही अपने पूर्ण दया भाव से स्वास्थ्य और अहिंसक धर्म का पालन भी करें।