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अष्टम मासानुमासिक कल्प (8th Masanumasik kalp)

अष्टम मासानुमासिक कल्प (8th Masanumasik kalp)

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मासानुमासिक कल्प - अष्टम मास


लाभ:-
1. इस माह शिशु श्वास लेने लगता है परंतु फेफड़ा को और अधिक विकसित होने की आवश्यकता है।
2. शिशु में पर्याप्त वसा हो जाने के कारण त्वचा की झुर्रियां मिट जाती हैं फलत: शरीर आकर्षक दिखने लगता है।
3. शिशु अधिक हलचल करने लगता है फलस्वरूप मां इस हलचल को महसूस करने लगती है।
4. शिशु के आसपास में इम्यूनेटीक फ्लूड कम होने लगता है।
5. शिशु की लंबाई 17.32 इंच एवं वजन 2 किलो के आसपास हो जाता है।
6. इस माह के अंत तक शिशु अपना सिर नीचे की ओर कर लेता है जिससे नॉर्मल डिलीवरी में सहायता मिलती है।
7. शिशु में उपरोक्त विकास को क्रियान्वित करने में मासानुमासिक की अष्टम मास की औषधियों की अहम भूमिका है।

प्रयुक्त सामग्री -
1.कपित्थ फल ( कैंथ फल ) ,2. बड़ी कटेरी ,3. परवल का लता ,4. ईख ( गन्ना ) ,5.भटकटैया ( छोटी कटेरी ) , 6. धागा मिश्री
सेवन विधि - वैद्यकीय परामर्श अनुसार अथवा
10 - 10 ग्राम सुबह - शाम दूध के साथ सेवन करें।

सावधानियां :-
1. संतुलित सुपाच्य एवं थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बार-बार आहार लें।
2. आराम करें।
3. तनाव से बच्चे।
4. बाई करवट लेकर सोयें।
5. सोने से पूर्व हाथ, पैर, सर और गर्दन की मालिश करें।
6. सोने की जगह साफ सुथरा होनी चाहिए।

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