चतुर्थ मासानुमासिक कल्प (4th Masanumasik kalp)
चतुर्थ मासानुमासिक कल्प (4th Masanumasik kalp)
मासानुमासिक कल्प - चतुर्थ मास
लाभ:-
1.ईस माह भ्रूण का हाथ, उंगलियां, नाखून, अंग तथा तंत्रिका तंत्र का तेजी से विकास होता है।
2. इस माह उत्सर्जन तंत्र का मूत्र प्रणाली तथा तंत्रिका तंत्र कार्य करना प्रारंभ कर देता है।
3. चेहरा अच्छी तरह से आकर ले लेता है, पलके बंद रहते हैं, शरीर के अंग पतले और लंबे विकसित होते हैं, शरीर की तुलना में सिर बड़ा होता है।
4. लिवर लाल रक्त कोशिका बनाने लगती है।
5. इस माह के अंत तक भ्रूण का आकार - लंबाई में 4 से 5 इंच एवं वजन 150 ग्राम के लगभग होता है।
6.विशेषता :-
(क).इस माह भ्रूण अंगूठा चूसना, जमाई लेना एवं आवाज को सुनकर प्रतिक्रिया करने लगता है।
(ख). इस माह प्रसव की तिथि का निर्धारण किया जा सकता है।
(ग). इस माह दिल का धडकन पहली बार सुना जा सकता है ।
7. चतुर्थ मास के भ्रूण के विकास में मासानुमासिक की चतुर्थ मास की औषधियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
प्रयुक्त सामग्री -
1. दूर्वा ,2. सरिवा ( अनंतमूल ) ,
3. रासना ,4. मुलेठी ,5.पदमा ( लाल कमल फुल ) ,6. धागा मिश्री
सेवन विधि - वैधकीय परामर्श अनुसार अथवा
10 - 10 ग्राम सुबह - शाम दूध के साथ सेवन करें।
सावधानियां :-
1. चौथे माह में भ्रूण का विकास बहुत ही तेजी से होता है इसलिए मां को पौष्टिक आहार लेना चाहिए।
2. भोजन में ओमेगा 3 फैटी एसिड को शामिल करें।
3. अपच एवं कब्ज से बचने के लिए जंक फूड से परहेज करें।
4. हल्का कार्य करते हुए सदा सक्रिय रहे।
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