तृतीय मासानुमासिक कल्प (3rd Masanumasik kalp)
तृतीय मासानुमासिक कल्प (3rd Masanumasik kalp)
मासानुमासिक कल्प - तृतीय मास
लाभ:-
1. इस माह चेहरा, अंग, हड्डियां, तथा मांसपेशियों का तेजी से विकास होता है।
2. हाथ तथा पैर की उंगलियों का भी विकास तेजी से होता है फलस्वरुप शिशु मुट्ठी बंद करना और खुलने के प्रक्रिया प्रारंभ कर देता है।
3. 12 वें सप्ताह के अंत तक लिंग का भी निर्धारण हो जाता है।
4. शरीर की तुलना में सिर का विकास तेजी से होने लगता है।
5. त्वचा नाखून तथा प्रत्येक अंगों का विकास के तेजी से होने लगता है।
6. इस माह के अंतिम सप्ताह तक भ्रूण की लंबाई 3.15 इंच तथा वजन लगभग 25 ग्राम के आसपास हो जाता है।
7. इस माह के अंत तक गर्भपात होने की संभावना समाप्त हो जाती है।
8.तृतीय मास की भ्रूण विकास में तृतीय मास की मासानुमासिक औषधीयों की अभूतपूर्व योगदान है।
9. उपर्युक्त कार्यों को क्रियान्वित कराने में मासानुमासिक की तृतीय मास की औषधियों की अहम भूमिका होती है।
प्रयुक्त सामग्री -
1.वन्दाक ,2.क्षीरकाकोली ,3. अनंतमूल , 4. प्रियंगु ,5. नीलकमल,6. धागा मिश्री
सेवन विधि - वैद्यकीय परामर्श अनुसार अथवा
10 - 10 ग्राम सुबह - शाम दूध के साथ सेवन करें।
सावधानियां :-
1. भीड़ - भाड़, प्रदूषित, एवं रेडिएशन वाली स्थानो पर जाने से परहेज करना चाहिए।
2. उबड़ - खाबड़ रास्तो पर नहीं चलना चाहिए।
3. लंबी समय तक खाली पेट नहीं रहना चाहिए।
4. मिर्च मसाले का सेवन से परहेज करना चाहिए।
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