द्वितीय मासानुमासिक कल्प (2sec Masanumasik kalp)
द्वितीय मासानुमासिक कल्प (2sec Masanumasik kalp)
मासानुमासिक कल्प - द्वितीय मास
लाभ:-
1. इस माह नाक, मुंह, कान अर्थात चेहरे का विकास जारी रहता है। हाथ - पांव की उंगलियां, आहार नाल तथा शरीर के विभिन्न अंगों का बनना शुरू हो जातें हैं।
2. इस महा तांत्रिक ट्यूब बनती है। जो मस्तिष्क और रीड की हड्डी में बदल जाती हैं। तथा मस्तिष्क का आकार शरीर की तुलना में तेजी से बढ़ने लगता है एवं रीड की हड्डी का भी विकास तेजी से होने लगता है।
3. इस माह दिल की धड़कन प्रति मिनट 105 बार धड़क कर विकास की गति को तेज करती है।
4. द्वितीय माह के अंतिम सप्ताह तक भ्रूण की लंबाई लगभग 1 इंच एवं वजन 10 ग्राम के आसपास होता है।
5. उपरोक्त भ्रूण के विकास में मासानुमासिक द्वितीय मास की औषधीय का महत्वपूर्ण योगदान है।
प्रयुक्त सामग्री -
1.अश्मन्तक ( कोबिदार ,कचनार ),2. काला तिल,3. मंजिष्ठा,4. शतावर,5. धागा मिश्री
सेवन विधि - वैद्यकीय परामर्श अनुसार अथवा
10 - 10 ग्राम सुबह - शाम दूध के साथ सेवन करें।
सावधानियां :-
1. स्वस्थ आहार लें।
2. नशा का सेवन ना करें।
3. फाइबर युक्त भोजन - फल सब्जियां तथा साबुत अनाज लें।
कब्ज से बचने के लिए।
4. आयरन युक्त भोजन - पालक, चुकंदर, अनार एवं सूखे मेव
का सेवन करें।
5. कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों - दूध, दही एवं हरी सब्जियों
का सेवन करें। यह हड्डी के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
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