नवम मासानुमासिक कल्प (9th Masanumasik kalp)
नवम मासानुमासिक कल्प (9th Masanumasik kalp)
मासानुमासिक कल्प - नवम मास
लाभ:-
1. इस माह फेफड़े का पूर्ण विकास हो चुका होता है।
2. इस माह शिशु पेट के अंदर ज्यादा हलचल करने लगता है।
3. इस माह शिशु आंखें खोलना बंद करना, मुट्ठी खोलना एवं मुट्ठी बंद करने का कार्य करने लगता है।
4. इस माह के अंत तक शिशु गर्भाशय के नीचे खिसक जाता है। फलत: जगह कम रहने के कारण शिशु का हलचल कम हो पता है।
5. इस माह के अंत तक शिशु की लंबाई 18.78 इंच तथा वजन 2.5 से 3 किलो के बीच हो जाता है।
6. शिशु इस माह के अंत तक पूरी तरह से विकसित होकर नई दुनिया में आने के लिए बिल्कुल तैयार हो जाता है।
7. नवे माह के बिल्कुल अंतिम चरण में गर्भाशय ग्रीवा नरम और पतला हो जाता है, तथा फैलने लगता है, जिसके फलस्वरुप शिशु आसानी से धरती रुपी नई दुनिया में कदम रखता है। जिसे प्रसव कहा जाता है।
8. इस माह की उपरोक्त शिशु के सभी विकास एवं प्रसव कराने में नवम मास की मासानुमासिक की औषधि की बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान होता है।
प्रयुक्त सामग्री -
1. मुलेठी ,2. दूर्वा ,3. सारिवा ( अनंतमूल ) , 4. क्षीरविदारी ( क्षीरकाकोली ) ,5. धागा मिश्री
सेवन विधि - बैधकीय परामर्श अनुसार अथवा
10 - 10 ग्राम सुबह - शाम दूध के साथ सेवन करें।
सावधानियां :-
1. भारी सामान को ना उठाएं।
2. तनाव से बच्चे।
3. लंबे समय तक बैठे या खड़े ना रहे।
4. परिवार जनों के साथ समय को व्यतीत करें।
5. प्रसव से संबंधित नकारात्मक विचारों से बच्चें।
6. हाइड्रेट रहने के लिए पर्याप्त पानी पीते रहे।
7. कुशल प्रसव कर्ता के संपर्क में रहें।
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