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षष्ठम मासानुमासिक कल्प (6th Masanumasik kalp)

षष्ठम मासानुमासिक कल्प (6th Masanumasik kalp)

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मासानुमासिक कल्प - षष्ठम मास


लाभ:-
1. इस माह भ्रूण का विकास बहुत तेजी से होता है फलस्वरुप लंबाई 12 इंच तथा वजन 900 ग्राम के आसपास हो जाता है।
2. त्वचा का रंग लाल हो जाता है।
3. विशेषताएं:-
(क). भ्रूण बाहर की आवाजों को सुनकर प्रतिक्रिया देता है।
(ख). ,, अपना अंगूठा चूसता है।
(ग). ,, हिचकी ले सकता है।
(घ). ,, घुस्से मारता है।
(ड). ,, आंखें खोलने लगता है।
(च). ,, आवाज के प्रति संवेदनशील हो जाता है तथा प्रतिक्रिया भी देने लगता है।
4. षष्ठम मास की भ्रूण विकास में मासानुमासिक की षष्ठम मास की औषधियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

प्रयुक्त सामग्री -
1. पृष्णपर्णी ,2.बलामूल , 3.सहजन छाल ( शिग्रू) , 4. गोखरू ,5. मुलेठी ,6. धागा मिश्री
सेवन विधि - बैधकीय परामर्श अनुसार अथवा
10 - 10 ग्राम सुबह - शाम दूध के साथ सेवन करें।

सावधानियां :-
1. संतुलित आहार ले।
2. इस माह कब्ज की समस्या हो सकती है, का समाधान के लिए फाइबर युक्त भोजन का सेवन करें।
3. पहले एवं मसालेदार भोजन का सेवन न करें।
4. नशा से बच्चे।
5. हल्का व्यायाम करें परंतु भारी ना करें।
6. तनाव से बच्चे।
7. पेट पर दबाव डालने से बच्चे।
8. भारी वजन उठाने से वंचित रहे।
9. लंबे समय तक झुक कर ना रहे।
10. सही मुद्रा में रहने का प्रयास करें।
11. ऊंची हील पहनने से बच्चे।
12. इस दौरान पैरों में सूजन एवं ऐंठन हो सकती है, परेशान ना हो।
13. अधिक समस्या होने पर बैध जी से परामर्श लेते रहें।

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